Wednesday, February 20, 2019

पूर्वांचल उत्थान फाउंडेशन से जुड़ें, एक नए समाज के लिए संघर्ष करें।

पूर्वांचल उत्थान फाउंडेशन से जुड़ें
एक नए समाज के लिए संघर्ष करें।

पूर्वांचल उत्थान फाउंडेशन ऐसे लोगों का संगठन है जो वर्तमान समय में समाज में व्याप्त अन्याय, गैर बराबरी, गरीबी, भूखमरी, बेरोजगारी और प्राकृतिक संसाधनों की बर्बादी के खिलाफ परिवर्तन की लड़ाई में कंधे से कंधा मिलाकर लड़ना चाहते हैं। आज से करीब 90 साल पहले भगत सिंह ने कहा था कि गांधी और कांग्रेस के रास्ते जो आजादी आएगी वह मुट्ठी भर लोगों की आजादी होगी। उसमें होगा यही कि गोरे साहब जाएंगे और उनकी जगह पर भूरे साहब हमारा शोषण करेंगे। देश के लोग जाति और धर्म के नाम पर ऐसे ही अपना खून बहाते रहेंगे।  1947 की आजादी के बाद यही हुआ। आज भारत के दो हिस्से हैं, एक तरफ मुट्ठी भर अमीर लोग हैं जिनके पास सारे कल-कारखानों, फैक्ट्रियों, जमीनों, संसाधनों आदि का मालिकाना है और दूसरी तरफ ऐसे लोग हैं जो सुबह से लेकर शाम तक इनके मुनाफे के लिए फैक्ट्रियों-कारखानों में खटते हैं। यह आबादी देश में सुई से लेकर जहाज तक का निर्माण करती है लेकिन आज सबसे तबाह बर्बाद यही आबादी है। ऑक्सफैम की रिपोर्ट के अनुसार 2016 में भारत की 1% अमीर आबादी के पास देश की 58% संपत्ति थी और देश के 80% आबादी के पास मात्र 10% संपत्ति थी। गरीबी-अमीरी की यह खाई आजादी के बाद से लगातार बढ़ती गई है जिनमें 1991 कि उदारीकरण-निजीकरण के नीतियों के बाद काफी तेजी आई है। अगर बीच के ऊपरी मध्यवर्ग के एक छोटे हिस्से को छोड़ दे तो नीचे की आबादी की हालत काफी गंभीर है। बेरोजगारी, महंगाई, भूखमरी, कम उम्र में मौतें आदि की शिकार सबसे ज्यादा यही आबादी है। 
     आजादी के बाद से कई सरकारें सत्ता में आ चुकी हैं, चाहे वह कांग्रेस की सरकार हो, जनता पार्टी की सरकार हो, बीजेपी की सरकार हो, यूपीए की सरकार में या वर्तमान एनडीए की सरकार हो, सब ने इस 80% आबादी के साथ धोखे के अलावा कुछ नहीं किया है। टाटा-बिरला-अंबानी-अडानी के पैसे से चलने वाली यह पार्टियां चुनाव जीतने के बाद उनकी जेबें भरने का ही काम करती हैं। यही कारण है कि इन की नीतियाँ, चाहे वह एफडीआई हो, जीएसटी हो, आधार कार्ड या कोई अन्य नीति हो, उनमें कोई फर्क नहीं होता। कहने को तो यह आपस में एक दूसरे से लड़ते हुए दिखाते हैं पर इन सभी पार्टियों का काम अंबानी-अडानी जैसे पूंजीपतियों की सेवा करना है। वर्तमान समय में जो भयंकर बेरोजगारी फैली हुई है उसका कारण भी इन पार्टियों द्वारा निजीकरण, ठेकाकरण को बढ़ावा देना है। ज्ञात हो कि सरकारी विभागों में पूरे देश में करीब 30 लाख से ज्यादा पद खाली पड़े हैं लेकिन सरकार उनको भर नहीं रही है या उनकी भर्ती ठेका प्रथा के द्वारा की जा रही है जबकि दूसरी तरफ करोड़ों नौजवान डिग्रियां लेकर सड़कों पर चप्पले फटकार रहे हैं। देश में हर रोज 5000 बच्चे भूख और कुपोषण से मर जाते हैं जबकि दूसरी तरफ एफसीआई के गोदामों में 70 लाख टन अनाज हर साल सड़ जाता है। आज प्रदूषण की जो इतनी बड़ी समस्या बनी हुई है उसकी वजह इन बड़े पूंजीपतियों का अंधाधुन मुनाफा कमाना ही है। मुनाफा कमाने के लिए फैक्ट्रियों के जहरीले रसायन, औद्योगिक कचड़े को सीधे नदियों में छोड़ देना, फैक्ट्रियों की चिमनियों में फिल्टर उपकरण न लगाना आदि ऐसे कारण है जो काफी तेजी से प्रदूषण को बढ़ावा देते हैं। 
          वर्तमान  मोदी सरकार कांग्रेस की ही  नीतियों को ज़ोर-शोर से आगे बढ़ाने के साथ साथ आरएसएस की  फासीवादी राजनीति को भी  देश में लागू कर रही है। बांटो और राज करो  की अंग्रेजों की  नीति पर चलते हुए  देश की जनता को  हिंदू-मुस्लिम के नाम पर,  मंदिर के नाम पर लड़ा कर जनता को असली मुद्दों से भटकाने की साजिश रच रही है।  ऐसे में हमारा मानना है की एक संवेदनशील और न्यायप्रिय व्यक्ति इस परिस्थिति को ऐसे ही छोड़ नहीं सकता है। जो भी व्यक्ति एक अच्छे समाज का सपना देखता है वह इन परिस्थितियों को बदलने की लड़ाई में लग जाएगा। इसी उद्देश्य से हमने एक संगठन की शुरुआत की है। मुख्य संगठन का नाम अभी तय नहीं किया गया है पर पूर्वी उत्तर प्रदेश में काम करने के लिए फिलहाल पूर्वांचल उत्थान फाउंडेशन के नाम से काम शुरू किया जा रहा है। इस के बैनर तले हम पूर्वी उत्तर प्रदेश में आम जनता के बीच उनके जरूरी मुद्दों पर काम करेंगे व पूरे इलाके के सामाजिक आर्थिक और सांस्कृतिक उत्थान के लिए काम करेंगे। हम ऐसे नौजवानों का आह्वान करते हैं जो वर्तमान परिस्थितियों में परिवर्तन की जरूरत को महसूस करते हैं और उसमें अपनी जिम्मेदारी को भी महसूस करते हैं। पूर्वांचल उत्थान फाउंडेशन ऐसे लोगों का आह्वान करता है कि वह इस परिवर्तन के संघर्ष में शामिल हो और भगतसिंह, सुखदेव राजगुरु, चंद्रशेखर आजाद जैसे क्रांतिकारी शहीदों के सपनों को पूरा करने में अपना योगदान दें। 

आप हमारे साथी हैं-

◆ अगर आप मानते हैं कि सभी इंसान बराबर है और उनके अधिकार एक जैसे हैं, उनमें जाति, धर्म, रंग, प्रदेश, लिंग आदि के आधार पर कोई बंटवारा नहीं होना चाहिए तो आप हमारे हमसफर हैं।

◆ अगर आप मानते हैं कि एक मजदूर को, एक किसान को और एक सफाई कर्मी को भी एक सम्मान और खुशहाल जिंदगी जीने का हक है और अगर कोई व्यवस्था या सरकार इसको पूरा नहीं करती है तो उसको बदलना हमारी पहली जिम्मेदारी है तो आप हमारे हमसफर हैं।

◆ अगर आप मानते हैं कि क्रांतिकारी शहीदों के सपनों पर 1947 की आधी-अधूरी आजादी के बाद हमारे देश के भूरे अंग्रेजों ने मिट्टी डालने का काम किया है और उन क्रांतिकारियों के सपनों को पूरा करने की जिम्मेदारी आज हम नौजवानों के कंधो पर हैं तो आप हमारे हमसफर हैं।

◆ अगर आप मानते हैं कि जातिवाद, सांप्रदायिकता, पितृसत्ता, अंधविश्वास, लैंगिक असमानता, दहेज प्रथा आदि का खात्मा होना चाहिए, जनता की मजबूत एकता कायम करने और उनके बीच वैज्ञानिक सोच विकसित करने की जरूरत है तो आप हमारे हमसफर हैं।

◆ अगर आप मानते हैं कि राजनीतिक काम अपने निजी स्वार्थ के लिए या अपना करियर बनाने के लिए नहीं कि जानी चाहिए बल्कि सामाजिक परिवर्तन को अपनी जिम्मेदारी और कर्तव्य मानते हुए जनपक्षधर राजनीति की जानी चाहिए तो आप हमारे साथी हैं। 

इंक़लाब
ज़िंदाबाद
पूर्वांचल उत्थान फाउंडेशन की तरफ से जारी पर्चा